January 2024 me Ekadashi Kab Hai: एकादशी एक हिन्दू पंचांग के अनुसार एक में महीने की दो बार आने वाली विशेष तिथि होती है। यह तिथि श्री भगवान विष्णु जी को समर्पित है और हिन्दू संस्कृति में इसके दिन उपवास, पूजा, और ध्यान के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। एकादशी को श्री भगवान विष्णु जी की कृपा से, शुभता और आत्मा की शुद्धि के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं, साथ ही श्री भगवान विष्णु जी की पूजा भी करते हैं ताकि उन्हें मोक्ष और शांति की प्राप्ति हो सके। देखा जाये तो यह तिथि हिन्दू धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ मानवीय उन्नति और आत्मा के विकास के लिए भी अति महत्वपूर्ण मानी जाती है।
एकादशी के दिन क्या क्या किया जाता है?
एकादशी के दिन एक महत्वपूर्ण धार्मिक तिथि के रूप में मानी जाती है जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक महीने में आती है। यह दिन श्री भगवान विष्णु जी को समर्पित होता है। इस दिन लोग विशेष पूजाएं करते और करवाते हैं, जैसे कि श्री भगवान विष्णु की पूजा, अर्चना, भजन-कीर्तन भी बड़े घूम धाम से करते हैं।
एकादशी के दिन समस्त प्राणी उपवास रखते हैं जिससे उन्हें शुभता, पवित्रता, और आत्मशुद्धि का अनुभूति होता है। इस दिन किसी विशेष प्रकार के भोजन का त्याग किया जाता है और सात्विक आहार का पालन किया जाता है। व्यक्ति अन्याय, पाप और दुःखों से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्री विष्णु जी से कामना करता है और भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते है।
January 2024 me Ekadashi Kab Hai: इस दिन ध्यान, मेधा और शांति को प्राप्त करने का अवसर माना जाता है। एकादशी के दिन धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना और धार्मिक कार्यों में लगना भी माना जाता है। यह दिन भक्ति और आध्यात्मिकता के लिए एक विशेष अवसर होता है जो लोग विशेष संस्कृति और परंपराओं के साथ मानते हैं।
January 2024 me Ekadashi Kab Hai: एकादशी कब है इस साल? अथवा वर्ष 2024 में एकादशी की तिथियों का विवरण कुछ इस प्रकार है:
1. जनवरी महीने में 07 जनवरी, 2024 को सफला एकादशी तथा 21 जनवरी, 2024 को पौष पुत्रदा एकादशी:
- 07 जनवरी को देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी, और अगले दिन 08 जनवरी को देर रात 12 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी।
- 21 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी, और अगले दिन संध्याकाल 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।
2. फरवरी महीने में 06 फरवरी, 2024 को षटतिला एकादशी तथा 20 फरवरी, 2024 को जया एकादशी:
- 06 फरवरी को संध्याकाल 05 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी, और अगले दिन संध्याकाल 04 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी।
- 20 फरवरी को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी, और अगले दिन सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी।
3. मार्च महीने में 06 मार्च, 2024 को विजया एकादशी तथा 20 मार्च, 2024 को आमलकी एकादशी:
- 06 मार्च को सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी, और 07 मार्च को सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी।
- 20 मार्च को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी, और 21 मार्च को देर रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।
4. अप्रैल महीने में 05 अप्रैल, 2024 को पापमोचनी एकादशी तथा 19 अप्रैल, 2024 को कामदा एकादशी:
- 05 अप्रैल को संध्याकाल 05 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी।
- 19 अप्रैल को संध्याकाल 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी, और संध्याकाल 08 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी।
5. मई महीने में 04 मई, 2024 को वरुथिनी एकादशी तथा 19 मई, 2024 को मोहिनी एकादशी:
- 04 मई को दोपहर 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 03 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी।
- 19 मई को सुबह 11 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी, और अगले दिन दोपहर 01 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।
6. जून महीने में 02 जून, 2024 को अपरा एकादशी तथा 18 जून, 2024 को निर्जला एकादशी:
- 02 जून को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी, और देर रात 02 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी।
- 18 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी, और सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।
7. जूलाई महीने में 02 जूलाई, 2024 को पारण एकादशी को 17 जुलाई, 2024 योगिनी एकादशी:
- 02 जूलाई को सुबह 03 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 11 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी।
- 17 जूलाई को देर रात 12 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी, और अगले दिन सुबह 09 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी।
8. अगस्त महीने में 01 अगस्त, 2024 को कामिका एकादशी तथा 16 अगस्त, 2024 को श्रावण पुत्रदा एकादशी:
- 01 अगस्त को सुबह 07 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 04 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी।
- 16 अगस्त को सुबह 03 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी।
9. अगस्त महीने में 30 अगस्त, 2024 को अजा एकादशी तथा सितंबर महीने में 14 सितंबर, 2024 को पशांग एकादशी :
- 30 अगस्त को सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी, और अगले दिन सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।
- 14 सितंबर को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 01 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।
10. सितंबर महीने में 29 सितंबर, 2024 को इंदिरा एकादशी तथा अक्टूबर महीने में 14 अक्टूबर, 2024 को पारमा एकादशी:
- 29 सितंबर को सुबह 06 बजकर 09 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 02 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।
- 14 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी।
11. अक्टूबर महीने में 28 अक्टूबर, 2024 को पाशांगुशा एकादशी तथा 12 नवंबर, 2024 को रामा एकादशी:
- 28 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी।
- 12 नवंबर को सुबह 05 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 02 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी।
12. नवंबर महीने में 27 नवंबर, 2024 को प्रबोधिनी एकादशी तथा दिसंबर महीने में 11 दिसंबर, 2024 को उत्पन्ना एकादशी:
- 27 नवंबर को सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 02 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी।11 दिसंबर को सुबह
- 06 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी, और दोपहर 02 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी।
January 2024 me Ekadashi Kab Hai: और एकादशी इतनी क्यों महत्वपूर्ण है?
January 2024 me Ekadashi Kab Hai: एकादशी हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा अरचना और उनकी आराधना की जाती है। इस दिन व्रत रखकर लोग अनाज, दाना-पानी, मांस, अल्कोहल, तम्बाकू, और मसालेदार खाद्य पदार्थों से नहीं खाते हैं। इसके माध्यम से शरीर और मन की शुद्धि होती है और ध्यान की ऊर्जा प्राप्त होती है। भगवान श्री विष्णु जी की कृपा प्राप्ति के लिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही, एकादशी के दिन भगवान के गुणों की स्मृति और भक्ति में भी लोग रमते और उनके प्यारे प्यारे भजन तथा गीत गाते हैं, जो उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति दिलाता है। इस दिन का विशेष महत्त्व है जो भक्तों को आत्मिक शुद्धि और धार्मिक साधना में जोड़ने की मदद करता है।
January 2024 me Ekadashi Kab Hai: एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है?
एकादशी का व्रत बहुत साधारण और प्रिय व्रत माना गया है। इस दिन उपवास करके भगवान विष्णु की पूजा और अरचना की जाती है। व्रत के दिन व्रती (व्रत करने वाला /वाली ) अनाज, सब्जियां, फल, दूध, दही, अल्कोहल, मांस और मसालेदार खाने से परहेज करते हैं। यंहा तक की जल भी नहीं पीते है । भगवान की पूजा के लिए तुलसी के पत्ते, फूल, जल, धूप, दीप, फल, नैवेद्य आदि श्री विष्णु जी को चढ़ाए तथा अर्जित किये जाते हैं। यह व्रत मानवीय शुद्धि, आत्मिक निर्मलता, और भगवान की कृपा के लिए साधक की श्रद्धा को बढ़ावा देता है।
January 2024 me Ekadashi Kab Hai: एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
January 2024 me Ekadashi Kab Hai: एकादशी के दिन अनाज, सब्जियाँ, फल, दूध, दही, अल्कोहल, मांस और मसालेदार खाने का त्याग करना अति अनिवार्य होता है। इस दिन उपवास के दौरान सात्विक आहार का सेवन किया जाता है, जैसे कि साबूदाना, कटहल, सिंघाड़ा, फल, पानी, दूध, पनीर, दही और शाकाहारी खाद्य पदार्थ। खीर, फलाहार, साबूदाना खीर जैसी मिठाई भी बनाई जा सकती है। यह व्रत शुद्धि, सात्विकता और ध्यान के लिए किया जाता है, जो शरीर और मस्तिष्क को शांति और पवित्रता प्रदान करता है। अन्य व्रतों की तरह, यहाँ पर भी भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टि से संजीवनी विधानों का पालन किया जाना अति आवश्यक मन गया है, ताकि व्यक्ति अपने मानसिक और आध्यात्मिक विकास के माध्यम से ऊंचाइयों की ओर पहुंच जा सके।
एकादशी के दिन कौन-कौन से पूजा अवश्य करनी चाहिए?
January 2024 me Ekadashi Kab Hai: एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा के साथ-साथ तुलसी की भी पूजा अरचना, व्रत कथा का पाठ, दान आदि करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते, फूल, जल, धूप, दीप, नैवेद्य, तुलसी की माला, शंख आदि का उपयोग होता है। व्रत कथा सुनने से भक्ति और श्रद्धा एक जोड़ महसूस होता है जो हमे धार्मिकता तथा अध्यात्मिकता से जोड़ता है जिससे हमे धार्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है। दान करने से सामाजिक दायित्व और सहानुभूति की भावना उत्पन्न होती है। इन सभी पूजाओं और अच्छाई के कार्यों से एकादशी के दिन भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करता है और दिव्य शक्तियों को अपने अंदर आकर्षित करता है।
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